अनिल कुमार उपाध्याय | विजय शाह तीन दशक पूर्व राजनीतिक क्षितिज पर उभर कर आज सितारा बनकर चमक रहे हैंl एक बार कदम आगे बढ़ाया फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा कई तूफान आये लेकिन उन्होंने अपने नाम को सार्थक करते हुए कठिन समय को भी परास्त कर दिया l चुनौतियों को हमेशा शिकस्त दी lसंकटों को उन्होंने मूंछ पर ताव देते हुए हरा दिया l विजय शाह आज विजय मुद्रा में खड़े हुए हैं l पूरा प्रदेश एक परिवार की तरह उनके लिए l उनकी छवि आज राष्ट्रीय नेता के रूप में बन चुकी है lमध्य प्रदेश में पर्यटन विभाग खाद्य  वन और आदिम जाति कल्याण मंत्री के रूप में वह अपनी अलग पहचान बना चुके हैं lहर विभाग में उन्होंने नया कीर्तिमान बनाया हैl

विजय शाह को गरीबों का मसीहा कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी गरीब के घर जाकर दरिद्र नारायण के रूप में उन्होंने भगवान को पहचानाl कर्म ही मेरी पूजा है और उसमें बसने वाला इंसान ही भगवान है इस मंत्र को उन्होंने अपने जीवन का आधार वाक्य बनाया है lउनका राजनीतिक कद हिमालय की तरह ऊंचाइयों पर पहुंच चुका है lवहीं उनकी गंभीरता शालीनता शिष्टता और सरलता समुद्र की तरह गहराई लिए हुए है lविजय शाह विकास पुरुष के रूप में भी जाने जाते हैं तीन दशक पूर्व जो हालात थे आज पूरी तरह बदल चुके हैं lविकास की उन्होंने नई कहानी लिखी हैl कड़ी मेहनत और सदैव ताजगी से सराबोर उनका व्यक्तित्व युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैl अपनी जान हथेली पर रखकर उन्होंने कई गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीजों की जान बचाईl डॉक्टर के मना करने के बावजूद उन्होंने अपना खून प्राण रक्षा के लिए समर्पित कर दियाl बड़े से बड़ा धन कुबेर हो या झोपड़ी में रहने वाला मजदूर हो गीता के समत्व योग को अपनाते हुए उन्होंने सबको एक दृष्टि से देखा है lचेहरे पर सदैव तैरते रहने वाली मुस्कान परेशान से परेशान व्यक्ति को भी प्रसन्न कर देती हैl उचित समस्या को लेकर के जाने वाला व्यक्ति उनके दरवाजे से कभी निराश  नहीं लौटाl विजय शाह लाखों लोगों की दुआओं के साथ अपने जीवन में कामयाबी के शिखर पर पहुंच रहे हैं, lविरोधी भी उनकी प्रशंसा करते हुए देखे जा सकते हैंl ना कोई मेरा है ना पराया इस वाक्य को विजय शाह अपने जीवन में जीते हैं lआप जियो हजारों साल इन्हीं कामनाओं के साथ हमारी शुभकामनाएं आपके साथl