आदित्य उपाध्याय 
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सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा  द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में  चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 329 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती ने हाड़ौती नोबेल समाचार पत्र के संवाददाता धीरज जी गुप्ता एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली के सेवा निवृत DSP महेन्द्र सिंह जी यादव को याद दिलाते हुए बताया कि पत्रकार लोकतंत्र के मूल स्तंभ होते है, लेकिन इस समय लोकतंत्र लंगड़ाया हुआ सा दिखता है,इसलिए इस समय पत्रकारों की भूमिका मिर्च मसालों वाली खबरों से बचकर राष्ट्र निर्माण की मूल आधार भगवती गोमाता की महिमा को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में गो को वैश्विक स्तर पर तो पशु मानते ही है साथ ही सनातनी भी इसे दूध देने वाला असाधारण पशु मान बैठे है,जिसके परिणाम स्वरूप विश्व अशांति की और बढ़ रहा है , गोमाता दूध देने वाला जानवर नहीं है ,बल्कि विश्व शान्ति का मूल आधार है गोमाता और जिस दिन मानव अपने अपने कर्तव्य को समझ लेगा उस दिन सारे अधिकारों का झगड़ा स्वत: ही खत्म हो जाएगा ।

गोमाता की सेवा में नारीशक्ति की महत्ता के बारे में बताते हुए दाता देवी फाउंडेशन की प्रमुख साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती दीदी ने बताया कि  भारत में करपात्री जी महाराज से लेकर अभी तक जितने भी गोमाता की रक्षा के लिए आंदोलन हुए उन सब में दुर्भाग्यवश हमें  विफलता ही हाथ लगी हैं और अब तक हम सब गायमाता को सम्मान नहीं दिला पाएं है और आज भी प्रतिदिन 80000 गोमाता रोज़ कट रही है और अब गोमाता को बचाना है तो शक्ति स्वरूपा नारी को आगे आना ही होगा क्योंकि गायमाता शक्ति स्वरूपा है और गायमाता चाहती है कि यह कार्य भी शक्ति स्वरूपा माताओं द्वारा ही हो क्योंकि माताएं ही है जो ममता की ,त्याग की,बलिदान की प्रतिमूर्ति होती है और नारी शब्द का एक अर्थ बलिदान भी होता है यानि जब तक सर्वच्च त्याग करने की भावना नहीं होगी तब तक गायमाता की सेवा और रक्षा नहीं हो सकती और हमारे देश के इतिहास में तो मातृशक्ति की अहम भूमिका रही है,चाहे वह झांसी की रानी हो ,चाहे सरोजनी नायडू या चाहे कोरोना 19 जैसी वैश्विक महामारी में वैक्सीन बनाने वाली सुचित्रा जी क्यों न हो जिन्होंने संपूर्ण विश्व को कोरोना जैसी महामारी से बचाया है।
   साध्वी जी ने बताया कि नारी जिसमें सृजन शक्ति भी होती है तो उसमें विध्वंश का बल भी होता है ,और आवश्यकता पड़ने पर दुष्टों का दमन करने के लिए वह मां चंडी, मां काली,मां भगवती का रूप भी लेती है ,इसलिए भगवती गोमाता की रक्षा के लिए भी देश की मातृशक्ति को आगे आना होगा क्योंकि गोमाता को जिन मूलभूत सात आवश्यकता आहार,आश्रय,ओषधि,आदर,आजादी, आनन्द एवं आंलगन आदि सप्त गुण ये सब मातृशक्ति में विद्यमान होता है ,और जिस दिन मेरे देश की 10 लाख माताएं एक साथ गोमाता को राष्ट्रमाता जैसे सर्वोच्च स्थान के लिए एक साथ खड़ी हो जाएगी उसी दिन भारत में गोमाता सर्वोच्च स्थान पर आरूढ़ हो जाएगी क्योंकि अब तक भी जितने भी गोरक्षा के लिए आंदोलन हुए वे पुरुषों की अगुआई में हुए है और उसमें सफलता नहीं मिली है,इसलिए अब गोमाता की रक्षा के लिए देश की मातृशक्ति को आगे आना होगा और धेनु शक्ति संघ इसी उद्देश्य के लिए कार्य कर रहा है और पूर्ण विश्वास है कि मेरे देश की मातृशक्ति ही गोमाता को सर्वोच्च स्थान दिलायेगी।

*329 वें दिवस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली,सेवा निवृत DSP महेन्द्र सिंह जी यादव गुरुग्राम, ब्रजेश कुमार जी अग्रवाल,चार्टेड अकाउंटेट गुरुग्राम, डॉ. महेंद्र प्रसाद जी अग्रवाल,यमुना नगर हरियाणा,बृजपाल जी नेगी,श्याम विहार नई दिल्ली,बीरबल जी यादव,नई दिल्ली,छत्तीसगढ़ के रायपुर से जय विजय एवं उनकी माताजी व नर्मदा जी के तट पर 250 गौमाताओं की सेवा करने वाली श्रीमती सुधा जी बाहेती नेमावर आदिअतिथि के रूप में उपस्थित रहें*

*आगामी 09 मार्च को धेनु धरती फाउंडेशन के तत्वाधान में होगी ऋषि कृषि संगोष्ठी*
 
*329 वे दिवस पर चुनरी यात्रा  राजस्थान एवं मध्यप्रदेश से*

एक वर्षीय गोकृपा कथा के 329 वें दिवस पर चुनरी यात्रा हाड़ौती नोबेल समाचार पत्र के संवाददाता धीरज गुप्ता एवं उनके पिता श्री कन्हैया लाल गुप्ता सुनेल (झालावाड़) के परिवार , डग तहसील के रतनपुरा एवं पचपहाड़ तहसील के गुराडिया की महिला मंडल एवं  राजगढ़ जिले की सारंगपुर तहसील के गामड़ी ग्राम की ओर से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए  गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी  लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया  और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।