मध्य प्रदेश के सुसनेर में चल रहे वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 235वें दिन स्वामी गोपालानंद सरस्वती ने गोमाता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गोमाता न केवल भारतीय संस्कृति का प्रतीक है बल्कि मानव जीवन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्वामी जी ने विशेष रूप से गोमाता के गोबर और गोमूत्र के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि ये दोनों ही प्राकृतिक एंटीबायोटिक हैं और नवजात शिशु और माता के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि आजकल के लोग गोबर और गोमूत्र को लेकर घृणा क्यों करते हैं। स्वामी जी ने कहा कि गोबर न केवल पवित्र है बल्कि यह खतरनाक विकिरण को भी रोकने में सक्षम है। उन्होंने यह भी बताया कि भगवान गणेश को चढ़ाए जाने वाले बिल्वपत्र की उत्पत्ति भी गाय के गोबर से हुई है। स्वामी जी ने अपने भाषण में गोमाता के वध पर चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत में गोमाता का वध कब रुकेगा।