विश्वास के साथ की गई भक्ति कभी निष्फल नहीं होती - साध्वी सरस्वती
रिपोर्ट - हरीश दुबे
देवास -क्षिप्रा, गुरुकृपा से हरि के दर्शन होते हैं और हरी कृपा से जीवन के दर्शन होते है । जिसका मन निर्बल हो प्रभु से जो चाहे वो देता है ।विभूषण राम की शरण में निर्मल मन से आया तो उसे लंका का राजा बना दिया अगर रावण भी निर्मल मन से प्रभु राम की शरण में आता तो उसे प्रभु अयोध्या का राज दे देते । भगवान की शरण में जो भी अहंकार को त्याग कर आता है उसके प्रति स्वयं प्रभु समर्पित हो जाते है। बुराई मिले तो उसे पेट मत उतारो भगवान शिव विष को कंठ में रखा था विष पेट में जाने के बाद विकृति पैदा करता है।भगवा पर प्रश्न करने वाले जानले कि भगवा अग्नि के तेज ज्वाला का रंग है भगवा सूर्य की लालिमा है, भगवा प्रभु का अंगवस्त्र है, भगवा चंद्रमा का तेज है भगवा हिंदू हिंदी औरहिंदुस्तान की आत्मा है । इस पर सवाल उठाने वाले इसके भूचाल से बच कर रहना भगवा हमरा विश्वास है हमारी भक्ति का रंग है ।विश्वास के साथ गई भक्ति कभी निष्फल नहीं होतीयह आध्यात्मिक विचार क्षिप्रा में हो रही श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भागवत रत्न साध्वी सरस्वती जी व्यक्त करते हुए कहे ।कथा समुद्र मंथन, वमन अवतार , दानवीर रहा बलि की कथा एवं सूर्यवंश की कथा विस्तृत वर्णन किया ।भगवान राम एवं श्री कृष्ण के जन्म की कथा का सुंदर चित्रण किया । भगवान वामन की झाकी एवं श्रीकृष्ण के जन्म की सुंदर झाकी ने श्रोताओं का मन मोह लिया ।
देवास में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन साध्वी सरस्वती जी ने भगवान के भक्ति और विश्वास के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भगवान की शरण में आने से मन निर्मल होता है और जीवन में सफलता मिलती है। साध्वी जी ने भगवान राम और श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कई कहानियों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान वमन अवतार और श्री कृष्ण के जन्म की झांकी ने श्रद्धालुओं को भावुक कर दिया।
साध्वी जी ने भगवा ध्वज के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि भगवा हमारी आस्था और भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भगवान के प्रति अटूट विश्वास रखने से जीवन में कभी निराशा नहीं होती। कथा में समुद्र मंथन, वमन अवतार, दानवीर बलि की कथा और सूर्यवंश की कथा का विस्तृत वर्णन किया गया। श्रद्धालुओं ने कथा का आनंद लिया और भगवान के प्रति अपनी आस्था को और मजबूत किया।