कुम्भ क्षेत्र में अनेक स्थानों पर हुई भगदड की घटनाओं को छिपाए जाने के कारण शङ्कराचार्य के परमधर्म संसद् में पारित हुआ योगी आदित्यनाथ जी के मुख्यमन्त्री पद से त्याग पत्र का प्रस्ताव
लोकेशन प्रयागराज
अनिल कुमार उपाध्याय
सनातन वैदिक हिन्दू आर्य परमधर्मसंसद् १००८
प्रासंगिक प्रस्ताव
संवत् २०८१ माघ शुक्ल प्रतिपदा तदनुसार दिनाङ्क 30 जनवरी 2025 ई.
1- सम्प्रति प्रयागराज में कुम्भ महापर्व आयोजित हो रहा है जिसमे केन्द्र और उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकारें बहुत ही मनोयोग से व्यवस्था बनाने में लगी दिखायी देती हैं। उनकी ओर से कहा गया है कि ४० से ५० करोड़ लोग उसमें भाग लेने वाले हैं। स्वाभाविक है कि उनसे अपेक्षा थी थी कि वे इतने लोगों की व्यवस्था भी समुचित रूप से करेंगे, कर रहे होंगे।
विगत अमावास्या के आगमन की पूर्व रात्रि २८/२९ जनवरी २०२५ ई० की रात्रि में ही मेला क्षेत्र में किसी कारणवश (जिसका कारण अभी तक ज्ञात नहीं है) भगदड़ मच गई और अब (३० जनवरी २०२५ की दोपहर तक) यह ज्ञात तथ्य हो गया है कि विगत पूरे दिन एक ही नहीं, अपितु अनेक स्थानों पर भगदड़ हुई और अनेक श्रद्धालु काल-कवलित हो गए।
घटना दुःखद और मर्माहत कर देने वाली है। हम सब मृतकों की सद्गति और उनके परिवारों के धैर्य के लिए सदन प्रभु से प्रार्थना कर रहे हैं और आशा करते हैं कि शासन-प्रशासन घटना की जांच कर सच्चाई सामने लाएगा ताकि यदि कोई दोषी हो तो उसे दण्डित किया जा सके और वर्तमान कुम्भ (जो कि अभी और कई दिन चलने वाला हैं) में कोई और दुर्घटना न हो पाए।
इसी के साथ उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ जी के उस कृत्य की निन्दा के प्रस्ताव भी पारित कर रहे हैं जिसमें उन्होंने न केवल मृतकों की मृत्यु को छिपाना अपितु अफ़वाह कहकर मखौल भी उड़ाया। अपमानित भी किया और सन्तों/ श्रधालुओं के साथ छल भी किया।
ध्यान रहे देश के प्रधानमन्त्री रहे स्व. श्री लालबहादुर शास्त्री जी जब रेल मन्त्री थे, उन्होंने आन्ध्र प्रदेश में हुई रेल दुर्घटना पर अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था।
मुम्बई में २६/११ आतंकी हमले से समय देश के तत्कालीन गृहमन्त्री श्री शिवराज पाटिल को मात्र इसलिए त्यागपत्र देना पड़ा था कि उन्होंने उसी दिन दो-तीन बार अपने कपड़े बदल लिए थे। कपड़ा बदलने का कारण भी उनसे नहीं पूछा गया और देशव्यापी निन्दा के माध्यम से उनका त्याग पत्र ले लिए गया था।
अब मुख्यमन्त्री श्रीमान् योगी आदित्यनाथ जी ने जिस तरह मौनी अमावस्या पर्व पर हुई भगदड़ में मृतकों को मृत्यु जैसे अटल सत्य को दिन भर देश की जनता और कुम्भ में समवेत साधु-सन्तों-आचार्यों और संस्थाओं से छिपाकर रखा और बार-बार अफ़वाह से बचने की सलाह देकर श्रद्धालुओं की मृत्यु को अफवाह कहकर अपमानित करते रहे उसके लिए यह परमधर्मसंसद् उनके इस आचरण की निन्दा करती है और भारतीय जनता पार्टी से माँग करती है कि ऐसे मुख्यमन्त्री को तत्काल पदमुक्त कर किसी योग्य व्यक्ति को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जो अभी शेष कुम्भ के दिनों में सुव्यवस्था बनायें और समवेत हिन्दू समाज को यह गारण्टी दे कि अब कुम्भ क्षेत्र में कोई दुर्घटना नहीं होने दी जाएगी। यदि दुर्योग से कुछ अघटित घटे भी तो उसे आगे बढ़कर संभाला जाएगा, न कि उसे छिपाकर लीपापोती की जाएगी और मीडिया के माध्यम से घटना को ही छिपाकर वाहीवाही ली जाएगी। यदि भारतीय जानता पार्टी इतनी बड़ी घटना के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया को नहीं बदलती तो मानना होगा कि वे भी वर्तमान मुख्यमन्त्री के इस कृत्य के बराबर के सहयोगी हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कैसे श्रद्धालुओं की मृत्यु को छिपाकर/अफ़वाह बताकर अपमानित किया है।
-२८ जनवरी २०२५ की रात ९:११ बजे वे अपने ब्लू टिक योगी आदित्यनाथ एक्स प्लेटफॉर्म पर अमावस्या स्नान की शुभकामनाएँ दे रहे।
-इसी रात १ से २ बजे के बीच पहली घटना घटती है जिसमें अब बताया जा रहा है कि 30 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
-सबेरे 4 बजे उठने पर सोशल मीडिया और अखबारों के समाचारों में समाचार दिखाई दिए कि रात मेला में भगदड़ हुई है और 17 लोग काल-कवलित हो गए हैं।
-जब स्पेशल मीडिया और अखबार यह कह रहे थे तब कैसे माना जाए कि मुख्यमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं थी?
-हम सब जब अधिकारिक/प्रामाणिक जानकारी के लिए चिन्तित होकर प्रतीक्षा कर रहे थे तब ८ बजकर ८ मिनट पर योगी आदित्यनाथ का एक्स सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वक्तव्य आया कि शान्तिपूर्ण स्नान हो रहा है, किसी भी अफवाह पर बिल्कुल ध्यान न दें। तब लगा कि अफ़वाह है भगदड़ की खबर।-और फिर १० बजकर २० मिनट पर आदित्यनाथ का बोलते हुए वीडियो आया जिसमे जिसमें उन्होंने कहा कि घटना हुई है, लोग घायल हैं, इलाज चल रहा है।
पर उन्होंने तब भी किसी की मृत्यु की बात नहीं बतायी और उन पर भरोसा कर सभी सन्त-महन्त- आचार्य-श्रद्धालु स्नान-भोजनादि सम्पन्न करने लगे।
कैसे माना जाए कि उन्हें तब तक किसी भी श्रद्धालु की मृत्यु का समाचार नहीं मिला था। अतः सिद्ध है कि उन्होंने देश-प्रदेश और कुम्भ में उपस्थित जनता-सन्तों से धोखा किया और तथ्य छिपाए रखा।
-जबकि सायंकाल ७:५४ बजे उन्होंने एक्स पर अपने वीडियो से बेशर्मी दिखाते हुए स्वीकार किया कि मृत्यु हुई है।
-ऐसे में उनके प्रति जनता और सन्तों का विश्वास कम हुआ है। ऐसे में तथ्यों को छिपाकर वाहवाही लूटने के चक्कर में पड़ा नेता मानते हुए यह सदन उनसे अपने पद से त्यागपत्र की माँग करता है।