क्रोध एक विष है, जिसे विवेक विचार एवं गोमाता की सत्संगति से ही दूर किया जा सकता है- स्वामी गोपालानंद सरस्वती
आदित्य उपाध्याय
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 245 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि आज कोल्हापूर करवीर संस्थापक अखंड सौभाग्यवती वज्रचुडेमंडित श्रीमंत महारानी ताराबाई राजाराम भोसले राजाराम महाराज की दूसरी पत्नी तथा छत्रपति शिवाजी महाराज के सरसेनापति हंबीरराव मोहिते की कन्या की कन्या का निर्वाण दिवस है । अपने पति की मृत्यु हो जाने के पश्चात ताराबाई मराठा साम्राज्य कि संरक्षिका बनी और उन्होंने शिवाजी दित्तीय को मराठा साम्राज्य का छत्रपति घोषित किया और एक संरक्षिका के रूप में मराठा साम्राज्य को चलाने लगी , उन्होंने औरंगजेब को बराबर की टक्कर दी और उन्होंने 7 सालों तक अकेले दम पर मुगलों से टक्कर ली और कई सरदारों को एक करके वापस मराठा साम्राज्य को बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई अर्थात मातृशक्ति जब अपने स्वरूप में आ जाती है तो दुनियां के कठिन से कठिन काम भी वह कर देती है क्योंकि मातृशक्ति केवल श्रृंगार का ही स्वरूप नहीं है बल्कि वह शक्ति का स्वरूप है,वात्सल्य का स्वरूप है, रणचंडी, काली और दुर्गा के रूप में भी उसने विकट स्थितियों में अपनी भूमिका निभाई है ।
पूज्य स्वामीजी ने बताया कि क्रोध करने पर विष मिलता है और सौम्यभाव रखने पर अमृत मिलता है इसलिए भगवान कृष्ण ने पूतना का अपने वात्सल्य से दूध पिया और क्रोध को विष पीने के लिए बुलाया अर्थात जीवन में हम क्रोध करेंगे तो विष ही मिलेगा इसलिए जीवन में हमें विष से बचना चाहिए विष केवल हलाहल जहर ही नहीं बल्कि विष के कई स्वरूप है,जैसे विचारों का विष ,विषयों का विष ,व्यवधान का विष ,विद्रोह का विष जो हमारे जीवन को जीते जी नरक पहुंचा देते है , कुछ लोग तो प्राण त्यागने,देह त्यागने के बाद नरक जाते है लेकिन क्रोधावस्था में तो जीते जी नरक जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है और क्रोध रोकने का कोई उपाय नहीं है बल्कि क्रोध को तो युक्ति पूर्वक त्यागना चाहिए क्योंकि क्रोध की कोई औषधि नहीं है इसको तो समाप्त करने के लिए विवेक विचार एवं गोमाता की सत्संगति ही एक मात्र साधन है ।
*विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में आगामी 11 दिसम्बर को गीता जयंती,13 दिसंबर को दवा देवी फाउंडेशन का शुभारंभ एवं 15 दिसंबर को कल्पगुरु दत्तात्रेय भगवान का प्रकट उत्सव रहेगा*
*गो कृपा कथा के 245 वें दिवस पर भोपाल से राजेश नारायण त्रिपाठी कृपा पात्र युग तुलसी पं श्री रामकिंकर जी उपाध्याय एवं उत्तर प्रदेश के ललितपुर से पं राजेन्द्र कुमार त्रिपाठी दोनो भाई अपने परिवार सहित व मन्दसौर जिले के गरोठ क्षेत्र के ढाकनी से गुमान सिंह,नारायण सिंह, कृपाल सिंह एवं दिल्ली के मुंडला से बालकृष्ण, गोठड़ा से विष्णु वैरागी, धन सिंह बोलिया बारी, राहुल बैरागी,विशाल बैरागी महिदपुर, गोवर्धन लाल शर्मा बड़ा देहरिया एवं सुसनेर से द्वारका प्रसाद लड्डा आदि अतिथि उपस्थित रहें*
*245 वे दिवस पर चुनरीयात्रा मध्यप्रदेश राजस्थान ओर से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 245 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के झालावाड़ जिले की पचपहाड़ तहसील के गुराडिया जोगा की महिला मण्डल एवं मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की आगर तहसील के परूखेड़ी की महिला मंडल ने सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।