गौ माता के अंदर समस्त देवी देवता समाहित है _गोपालानंद सरस्वती
* लोकेशन सुसनेर
आदित्य उपाध्याय
गोमाता गंगा,यमुना एवं सरस्वती रूपी त्रिवेणी संगम की साक्षात प्रतिमूर्ति है* - स्वामी गोपालानंद सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 296 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि आज भारतीय समाचार पत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो न केवल हिंदी पत्रकारिता के विकास को मान्यता देता है, बल्कि भारत में मीडिया की स्वतंत्रता और भूमिका को भी उजागर करता है। 1963 में भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार संघ ने 29 जनवरी को इस दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। तभी से, हर साल यह दिन भारतीय समाचार पत्रों के योगदान को सम्मानित करने के रूप में मनाया जाता है।
पूज्य स्वामीजी ने मौनी अमावस्या के पुण्य पर्व पर बताया कि आज का दिन परमात्मा की शरणागति एवं पित्रों को तृप्त करने का दिन है और संभव हो तो आज के दिन वाणी से मौन नहीं तो कम से कम मन से तो मौन रहें और आज के दिन तीर्थ स्नान का बहुत महत्व है और सब तीर्थों का फल एक साथ चाहिए तो धेनु चरण से बढ़कर कोई स्थान नहीं है क्योंकि गोमाता के चरणों में 68 कोटि तीर्थ विद्यमान है और गोमाता के मूत्र में गंगा माता,गोबर में यमुना एवं जिव्हा में सरस्वती अर्थात गोमाता गंगा, यमुना एवं सरस्वती रूपी त्रिवेणी संगम की साक्षात प्रतिमूर्ति है और गोमाता के चरणों में रहने से सारे तीर्थों का फल मिल जाता है और गायमाता के चरणों से जो रज उड़कर शरीर से स्पर्श हो जाती है तो उसे वायो स्नान कहते है, जिसका स्नान त्रिवेणी स्नान से भी बढ़कर है ।
स्वामीजी ने बताया कि गैया के चरणों में आने के बाद एक अदभुत एवं दिव्य शान्ति मिलती है और सबसे बड़ी बात गो चरणों में रहने से राग,द्वेष खत्म हो जाता है और स्नेह भाव एवं पूरे संसार की सेवा करने का भाव पैदा हो जाता है अर्थात एक गैया की सेवा से सारे संसार की सेवा हो जाती है और सेवा जीवन का सार है और सेवा नहीं करेंगे तो ऊर्जा का सदुपयोग नहीं होगा क्योंकि एक दिव्य ऊर्जा के साथ ही हमने जन्म लिया है और उसमें कुछ सत्संग की ऊर्जा प्राप्त करले तो जीवन प्रकाशमान हो जाता है और गलत रास्ते में जाएं तो जीवन में पराजय आ जाती है,इसलिए जीवन में सत्संग अति आवश्यक है और इस कलिकाल में अगर आप नेत्रों से सत्संग देखना चाहते है तो वह है गैया मैया यानि गैया मैया पूर्ण सत्संग है।
*30 जनवरी गुरुवार को दोपहर 12:30 बजे से जनपद सुसनेर में पंचायत स्तर पर संचालित सभी पंचायत स्तरीय गौशालाओं के संचालन मंडल,पंच, सरपंच ,सचिव एवं प्रत्येक पंचायत से 5 -7 युवा एवं भामाशाह विश्व के प्रथम गो अभयारण्य श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में गोशाला प्रबंधन का पाठ ग्वाल सन्त पूज्य स्वामी गोपालानंद जी से सीखेंगे,जिसका आस्था चेनल पर सीधा लाइव प्रसारण होगा ईट कल जनपद सुसनेर की और से भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई जाएगी*
*ग्वाल शक्ति सेना में 5 हजार पूर्ण गोव्रती कार्यकर्ताओं की श्रृंखला में छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले से सहसपुर लोहारा तहसील से बैसाखू मरकाम,जबलपुर की तहसील पनागर से योगेश तल्लारी,हरदा से भीम गिरी गोस्वामी, खण्डवा जिले के खालवा तहसील प्रभारी लक्ष्मण कलमे एवं राजस्थान के झालावाड़ जिले की छीपाबडौद तहसील प्रभारी संजय गडरिया,चुरु जिले की तारानगर तहसील से विकास सैनी आदि की नियुक्ति की उद्घोषणा हुई*
*296 वें दिवस पर गुजरात के बड़ोदरा से पूज्य रविंद्रानंद जी महाराज एवं कोटा से भारत भूषण मित्तल एवं श्रीमती विनोद मित्तल,अजमेर जिले के विजयनगर से ओमप्रकाश जेदिया एवं मंदसौर के गांव दलौदा सगरा महेश पटीदार व राजेश पाटीदार आदि अतिथि उपस्थिiत रहें*
*296 वे दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान एवं मध्यप्रदेश से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 296 वें दिवस पर चुनरी यात्रा राजस्थान के कोटा से बालचंद सिसोदिया मुथा ने अपने जन्मदिवस पर एवं जोधपुर से चम्पालाल, नंदकिशोर के परिवार की ओर से चम्पालाल की बेटियां व मध्यप्रदेश के करनालिया से भगवान सिंह, अमर सिंह
रामसिंह, गोवर्धन एवं कृपालसिंह आदि अपने
ग्राम,नगर की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।