विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में भारत का पहला ग्वाल प्रशिक्षण शिविर 01फरवरी से* - स्वामी गोपालानंद सरस्वती
आदित्य उपाध्याय की रिपोर्ट
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित "गोवंश रक्षा वर्ष" के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 298 वें दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि प्राचीन समय से भारतवर्ष में मातृशक्ति हर कार्य में अग्रणी रहीं है,चाहे वह स्वतंत्रता आंदोलन तो या अन्य रचनात्मक कार्य उसमें मातृशक्ति की अहम भूमिका रही है और अब तो विश्व के प्रथम लोकतंत्र के मंदिर भारतीय संसद में भी मातृशक्ति को पुरुष शक्ति के बराबर का अधिकार दे दिया है तो फिर भगवती गोमाता के कार्य में मातृशक्ति अग्रणी क्यों न रहें उसी दृष्टि को ध्यान में रखते हुए आज पूज्य महाराज जी ने ग्वालशक्ति सेना(जी.एस.एस.)की भांति धेनु शक्ति संघ (डी. एस. एस) नामक संगठन की घोषणा की जो साध्वी कपिला गोपाल सरस्वती,साध्वी श्रद्धा गोपाल सरस्वती,साध्वी चारु गोपाल सरस्वती,साध्वी आराधना गोपाल सरस्वती एवं साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती साध्वी दीदी आदि गोपाल परिवार की साध्वी बहिनों के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में कार्य करेगा जिसके लिए प्रभारी के रूप में बहिन राधा गोपाल,बहिन श्यामा गोपाल,बहिन धेनु प्रिया गोपाल ,मुन्नी बाई जाख एवं प्रेम बाई, सज्जन बाई आदि की नियुक्ति की घोषणा कर आगामी 5 वर्षों में गो सेवा के लिए एक करोड़ मातृशक्ति को जोड़कर भारत में एक भी गो वंश दुःखी नहीं रहे और भारत में गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध हो और गोमाता राष्ट्रमाता के सम्मानजनक पद पर स्थापित हो इसके लिए धेनु शक्ति संघ(DSS ) कार्य करेगा और धेनु शक्ति संगठन को संचालित करने वाली मातृशक्ति गोव्रती एवं पूर्ण व्यसन मुक्त रहकर कार्य करेगी क्योंकि सात्विकता के बिना शीर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता क्योंकि थोड़ा भी रजोगुण, तमोगुण एवं पराधीनता मन में रही तो हम लक्ष्य को अर्जित नहीं कर सकते और स्वाधीनता के बिना श्रेष्ठ जनहित के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता ।
स्वामीजी ने आगे बताया कि भारत में गौसेवा के लिए कार्य करने वाली गोशालाओं में गो सेवा कार्य करने वाले अनुभवी ग्वालों की कमी रहती है उसको ध्यान में रखते हुए श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा ,कामधेनु गो अभयारण्य ,धेनु देवी फाउंडेशन एवं दृष्टिदेवी फाउंडेशन इन चारों के तत्वाधान में विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में भारत का पहलीबार ग्वाल प्रशिक्षण शिविर जो एक फरवरी 2025 से 28 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें देश भर से गोसेवा में अच्छा कार्य कर रहे अनुभवी गोसेवा प्रभारियों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाएगा और प्रशिक्षण के बाद उन ग्वालों को शत प्रतिशत रोजगार मिले और उन्हें सम्मानजनक मानदेय मिले उसके लिए दृष्टि देवी फाउंडेशन एवं धेनु धन फाउंडेशन कार्य करेगा ।
स्वामीजी ने आगे बताया कि भारत की प्रमुख नस्लों की गौमाताओं का संवर्धन हो इसके लिए धेनु दर्शन फाउंडेशन के गोवत्स बालकृष्ण जी महाराज के मार्गदर्शन में शीघ्र कार्य प्रारम्भ होगा ताकि देश भर के एक करोड़ परिवार में एक एक संवर्धित गोवंश की सेवा होती रहें ।
*ग्वाल शक्ति सेना में 5 हजार पूर्ण गोव्रती कार्यकर्ताओं की श्रृंखला में मध्यप्रदेश के हरदा से अनिल जी गिते,उत्तरप्रदेश के प्रयागराज की सोराम से कृष्ण गोविंद पटेल,महाराष्ट्र के जालना जिले अंबड तहसील से दत्तात्रय बाबुराव सांगळे और राजस्थान के चुरु जिले के तारानगर तहसील प्रचार प्रमुख सत्यनारायण स्वामी, रामस्वरूप भालेरी ,रोहिताश अग्रवाल भालेरी आदि की नियुक्ति की उद्घोषणा हुई*
*298 वें दिवस पर कालू सिंह सोलंकी मनासा, रमेश चन्द गुर्जर, देवी सिंह गुर्जर, भौनी सिंह गुर्जर,हेमराज गुर्जर नाथूखेड़ी आदि अतिथि उपस्थिiत रहें*
*298 वे दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के सुसनेर तहसील से*
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 298 वें दिवस पर चुनरी यात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के सुसनेर तहसील के जाख ग्राम से घीसु लाल, पन्ना लाल,गोकुल सिंह,बाबू लाल, पवन, दीनानाथ,रामसिंह,शिवनारायण, करण, गोकुल,सत्यनारायण शर्म एवं घीसु लाल के साथ सेंकड़ों मातृशक्ति एवं युवा अपने ग्राम की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए 56 भोग एवं चुनरी लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।