कल्पवल्ली महोत्सव का हुआ शुभारम्भ*
लोकेशन उज्जैन मनोज रावत रिपोर्ट sky India news channel
*कल्पवल्ली महोत्सव का हुआ शुभारम्भ*
*‘‘वेदों के स्वाध्याय से ही वेदों की रक्षा संभव’’-एस.पी.प्रदीप शर्मा*
उज्जैन,30 जनवरी। वेदों के स्वाध्याय से ही वेदों की रक्षा सम्भव हो सकती है। हमारे देश का सौभाग्य है कि इस कार्य में अनेक परिवारों की पीढ़ीयाँ संलग्न है। यही कारण है कि इतने राजनैतिक आक्रमणों के बाद भी वेद की धरोहर हमारे देश में सुरक्षित है।
यह जानकारी देते हुये अकादमी के निदेशक, डॉ.गोविन्द गन्धे ने बताया कि उक्त विचार उज्जैन के पुलिस अधीक्षक श्री प्रदीप शर्मा ने कालिदास संस्कृत अकादमी में कल्पवल्ली महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। आपने कहा कि सनातन परम्परा का संरक्षण ही हमें अपनी अस्मिता के साथ जोड़े रखेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.सन्तोष पण्ड्या ने की। आपने कहा कि वेदों के अध्ययन की विविध पद्धतियों के कारण ही वेदमंत्र यथावत् आज भी हमारे बीच में हैं। वेदों से पुरुषार्थचतुष्टय की प्राप्ति की जा सकती है। वेदों के स्वाध्याय से स्मरण शक्ति तीव्र होती है।
आज सम्पन्न कल्पवल्ली महोत्सव में आचार्य वेदमूर्ति श्री निलेश रामराव जोशी (ऋग्वेद), नांदेड महाराष्ट्र, श्री रोहन सुरेश कुलकणी, पुणे (सामवेद जैमिनीशाखा), श्री ओंकार हरिदास काकडे, (अथर्ववेद पैप्पलादशाखा) बैंगलुरु, श्री अभिषेक शामसुन्दरजी उपाध्याय (कृष्ण यजुर्वेद, तैत्तिरीय शाखा), बीड, श्री अतुल लक्षमण सीतापती (सामवेद राणायणी शाखा), श्री मल्हार गणेशराव अंबुलगेकर, पुणे (अथर्ववेद शौनक शाखा), श्री राजेश गोविन्द जहागिरदार, नागपुर (शुक्ल यजुर्वेद काण्वशाखा), श्री चैतन्य शिवाजीराव देशमुख (कृष्ण यजुर्वेद), नांदेड, श्री कृष्णा भगवानराव जोशी (परभणि अथर्ववेद शौनकशाखा), श्री योगेश्वर विश्वासराव देशमुख, नांदेड(सामवेद, राणायनी शाखा), श्री रोहित देविदासराव केजकर (ऋग्वेद शाकलशाखा), डॉ.सन्तोष पण्ड्या, डॉ.गोपालकृष्ण (शुक्ल शुक्लयजुर्वेद माध्यान्दिन शाखा) श्री चिदानन्द शास्त्री (ऋग्वेद शाकल शाखा), डॉ.धर्मेन्द्र कुमार शर्मा (अथर्ववेद शौनक शाखा), पं.सत्यम् शुक्ल (ऋग्वेद शाकलशाखा) ने वेदपरायण किया। इस अवसर पर कण्व वेदविद्या प्रतिष्ठान के बटुक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन पं.सत्यम् शुक्ल ने किया तथा आभार डॉ.गोपालकृष्ण शुक्ल ने माना। अतिथियों का स्वागत अकादमी के निदेशक, डॉ. गोविन्द गन्धे ने किया।